
हेलो दोस्तों, आज की कहानी बेहद रोमांचक है। कहानी का फुल मज़ा लेने के लिए, प्लीज लास्ट तक बने रहें। मेरी सासू मां बहुत खुले विचारों वाली और बेबाक महिला थी। उनकी बातें सुनकर मैं तो दंग रह गया था। उन्होंने मुझसे पूछा, “क्या तुमने पहले कभी किसी से प्यार किया है?” मैंने कहा, “नहीं, बस हाथ चलाया है।” तब वो बड़े चाव से पूछने लगी, “किसके लिए?” मैंने कहा, “बहुत सी लड़कियों के लिए और औरतों के लिए।” तब वो बोली, “और बताओ ना। और किसके लिए?” मैंने कहा, “कभी-कभी आपको याद करके भी।” इतना कहकर मैंने अपनी नज़रें झुका ली, मुझे लगा था शायद वो नाराज़ हो जाएंगी, मगर वो तो खुश हो गई। उनकी आंखों में मुझे नशा साफ दिखाई दे रहा था। कुछ समय बाद वो मुस्कुराते हुए बोली, “भला ऐसे भी कोई करता है?” क्या अब मैं समझ गया था कि सासू मां को कोई एतराज नहीं है। मैंने उनके हाथों को अपने थाम लिया और उन्हें प्यार करने लगा। कुछ देर बाद वो नार्मल हो गई और बोली, “अच्छा हुआ कि तुमने मेरी बेटी को प्यार नहीं किया, वरना उस बेचारी की ना जाने क्या हालत होती। जब तक वो जवान हो और यह रिश्ता निभाने के लिए तैयार नहीं हो जाती, तुम मेरे साथ रह सकते हो। घर में आकर मेरे साथ खुशियां मनाया करो।” यह सुनकर मैं तो खुश हो गया था कि बेटी के साथ में सासू मां फ्री मिल गई।
हेलो दोस्तों, स्वागत है आप सभी का हमारी एक और रोमांचक कहानी में, उम्मीद करती हूं आपको यह कहानी बेहद पसंद आएगी। दोस्तों, यह कहानी उस समय की है जब मैं 24 साल का था। ग्रेजुएशन के बाद मेरी नौकरी भी लग गई और मैं कमाने भी लगा। मेरे घर वालों ने मेरी शादी की बातचीत शुरू कर दी थी। मेरे परिवार में मेरे अलावा मेरे मां-बाप और मेरी बड़ी बहन जिसकी शादी हो चुकी थी और वह अपने पति के साथ बहुत खुश थी। अब मैं अपने बारे में बता दूं, मेरी लंबाई करीब 6 फीट है और कसरत बदन का मालिक हूं। वैसे मैं बहुत ही रंगीन मिजाज का हूं। मेरा मन प्यार करने को बहुत करता है पर मैंने अब तक किसी भी लड़की से प्यार नहीं किया था। हां, फिल्में जरूर देखी थी। मुझे भी प्यार करने की बहुत इच्छा होती थी पर किसी से नहीं किया था। मैं सोचता था जो मज़ा बीवी को प्यार करने में है, वह किसी और में नहीं।
मेरे घर वालों ने दो-तीन जगह लड़की देखने के बाद मेरे पापा की एक दोस्त के परिवार में मेरा रिश्ता तय कर दिया था। अब मेरे ससुराल वालों का परिचय करवा दूं। मेरे पापा के दोस्त राजेंद्र अंकल जी, उनका काफी अच्छा कारोबार था। वह लोग यहीं पास, नोएडा में ही रहते थे। राजेंद्र अंकल यानि कि मेरे ससुर जी की मौत करीब 5 साल पहले हो चुकी थी। उनके परिवार में उनकी पत्नी और दो लड़कियां थीं। छोटी वाली निशा की उम्र 18 साल थी और बड़ी लड़की रितु उसकी उम्र 21 साल थी। रितु की शादी 2 साल पहले हुई थी पर वह अपने पति से और सास से झगड़ा करके आ गई थी। राजेंद्र अंकल की पत्नी यानि निशा की मम्मी की मौत 10 साल पहले हो चुकी थी और राजेंद्र अंकल ने रूपा नाम की एक मॉडल से शादी कर ली थी। वह निहायत ही खूबसूरत और मनमोहक थी, बिल्कुल परी जैसी। वैसे निशा भी बहुत ही सुंदर थी। मैंने देखते ही उसे पसंद कर लिया था और तुरंत ही हमारी शादी कर दी गई थी।
मेरी शादी की पहली रात बहुत ही खराब रही। मैं जैसे ही निशा के करीब होने लगा, उसने मुझे फौरन से रोक दिया। मैंने उसे बहुत समझाया पर वह नहीं मानी, मुझे बहुत गुस्सा आया क्योंकि हर मर्द चाहता है कि उसकी बीवी उससे प्यार करे। फिर भी मैंने सोचा चलो धीरे-धीरे प्यार से समझा लूंगा। दो दिन तक मैंने बहुत प्यार से मनाया पर वह मानने को तैयार नहीं थी। फिर मैंने थोड़ी ज़बरदस्ती भी की पर वह फिर भी तैयार नहीं हुई और अब मैं उससे ज़्यादा ज़ोर ज़बरदस्ती नहीं करना चाहता था। तीसरे दिन ही वह तैयार होकर कहने लगी, “तुम बहुत परेशान करते हो। मुझे अपने घर जाना है।” मेरी बहन और मेरी मां ने उसे बहुत समझाया और वह रोने लगी। मेरी मां ने कहा, “बेटा, इसे ले जा और अपने ससुराल में छोड़ दे और अपनी सास को समझा देना कि इसे कुछ सीखा कर भेजे।” मेरी मां भी बहुत गुस्से में थी। वो भी जान चुकी थी कि मैंने अब तक सुहाग रात नहीं मनाई है। मैं भी गुस्से में था। मैं उसे लेकर अपने ससुराल नोएडा उसे छोड़ने के लिए चला गया। वहां उसकी सौतेली मां थी। वह उसे देखकर

उससे…
से! लिपट गई और रोने लगी। मैं अंदर आकर मेरी बड़ी साली रितु से बातें करने लगा। वह दोनों आपस में क्या बातें कर रही थीं? वह तो नहीं जान पाया, पर उसने अपने हाथ से माप बताते हुए मेरी ओर इशारा किया। तब मैं समझ गया था कि वह मेरे टूल्स के बारे में बात कर रही थी। मैं उसे छोड़कर जाने लगा, तो मेरी सांस ने कहा, “दामाद जी, दो-तीन दिन यहीं पर रुक जाओ। वैसे भी ऑफिस से तुमने छुट्टी ले ही रखी है। मैं तब तक निशा को समझा दूंगी।” और मेरी ओर अजीब नजरों से देखते हुए मुस्कुराने लगी। मेरी सांस की सदा से मैं हंस पड़ा, वैसे भी वह अपने वक्त की ब्यूटी क्वीन थी और अब भी उनकी उम्र ही क्या थी? सिर्फ 30 साल, पर देखने में वह बिल्कुल रितु की ही उम्र की लगती थी। उस वक्त ही मेरे मन में आया, “काश मुझे सासू मां से प्यार करने का मौका मिल जाए तो मुझे मजा आ जाएगा।” फिर उन्होंने रितु को बुलाया और कहा, “ले जा अपनी बहन को और उसे कुछ समझा।” वह दोनों बहनें अपने कमरे में चली गईं और मैं फ्रेश होकर आया। फ्रेश होने के बाद, जैसे ही बोतल निकाली, तब मैंने देखा उसमें बियर के टीन रखे हुए थे। मैं सोचने लगा, “यह कौन पीता होगा? होगा कोई मर्द तो इस घर में यहां पर है नहीं।” पर ज्यादा सोचे बगैर, मैंने रूपा देवी, यानी कि मेरी सासू मां से कहा, “मैं अपने दोस्तों से मिलकर लौट आऊंगा।” वह बोली, “ठीक है।” मैं वहां से निकलकर अपने कुछ दोस्तों से मिलने चला गया। शाम के करीब 9:00 बजे, मैं लौट आया, साथ ही मैं बियर के कुछ टीन लेकर आया था। मैं जब वापस आया तब निशा और रितु घर पर नहीं थीं। वे कहीं अपनी सहेली के घर गई हुई थीं। मेरी सास रूपा मेरा इंतजार कर रही थी। मेरे आते ही उन्होंने मेरे हाथ से बियर वगैरह ले लिया और बोली, “खाना खाओगे क्या?” मैंने कहा, “निशा और रितु ने खा लिया क्या?” वह बोली, “वह दोनों तो अपनी सहेली के घर गई हुई हैं। आज वहीं पर रुकेंगी। उसके भाई की शादी है।” फिर बोली, “मैंने फ्राइड चिकन और मटन बनाया है, कहो तो खाना लगा दूं।” मैंने कहा, “ले आओ, साथ मिलकर खा लेते हैं।” कुछ देर बाद उसने खाना लगाया और मेरे लिए गिलास ले आई। मैंने कहा, “रूपा जी, आपको भी मेरा साथ देना होगा।” वह मना करने लगी, “ना बाबा ना।” मैंने कहा, “अब बनो मत, मैं फ्रिज में बियर के टीन देख चुका हूं। मेरे साथ पीने में भला क्या हर्ज है? आओ ना, मजा आएगा फिर।” वह भी मान गई और बोली, “ठीक है, मैं अभी आई।” वह थोड़ी देर बाद वापस आ गई, मगर अब नजारा बदल चुका था। उन्होंने अपनी साड़ी निकालकर नाइटी पहन ली थी।

सासू जी का गोरा रंग उसमें बहुत ही ज्यादा खिल रहा था। अब उस कमरे में सिर्फ मैं और सासू मां ही थे। मैंने उनके लिए ड्रिंक बनाया और साथ में खाना खाते हुए ड्रिंक करने लगे। करीब तीन टीन हम दोनों ने खाते हुए पूरे पी लिए थे। खाने के बाद, जैसे ही सासू मां मुझसे बातें करने लगी, मैंने उनको पहली रात वाला किस्सा सुनाया। तब वह दंग रह गई। मेरी सासू जी की उम्र 32 साल है। वह बड़े ही प्यार से मुझसे बात कर रही थी। मैंने उनको जब यह बात बताई तो पहले वह थोड़ी सी घबराई, मगर बाद में हंसने लगी। मुझे उनके प्रताप पर बहुत खुश आने लगा था। मैंने दो पैक और बनाए, उन्होंने पीते हुए धीरे से मेरा हाथ अपने हाथ में ले लिया और बोली, “जाने दो ना, दामाद जी, अभी वह नई कली है। अभी तक किसी से प्यार नहीं किया है, ना इसलिए जानती नहीं है।” मैंने कहा, “पर उसकी बड़ी बहन तो शादीशुदा है, वह तो जानती थी।” वह थोड़ा नर्वस होकर बोली, “नहीं, वह भी पति का प्यार लिए बगैर ही आ गई है।” मैंने कहा, “वह क्यों?” तब वह बोली, “शादी की पहली रात को ही उसका पति कारगिल चला गया था। अब तक नहीं आया। उसने सिर्फ उसे देखा ही था, और फोन आते ही वह चला गया। तुम चिंता ना करो, मैं उसको सब समझा दूंगी।” उनकी खुली बातें सुनकर तो मैं दंग रह गया था। उन्होंने फिर मुझसे पूछा, “दामाद जी, तुमने पहले कभी किसी को प्यार किया है?” मैंने कहा, “नहीं, सिर्फ हाथ चलाया है।” तब वह बड़े चाव से पूछने लगी, “किसके लिए?” मैंने कहा, “बहुत सी लड़कियों के लिए और औरतों के लिए।” उन्होंने कहा, “और बताओ ना, और किसके लिए?” मैंने कहा, “कभी-कभी आपको याद करके भी।” और फिर मैंने अपनी नजरें झुका लीं। मुझे लगा था, वह शायद नाराज हो जाएंगी, मगर वह तो खुश हो गई थीं। उनकी आंखों में मुझे नशा साफ-साफ दिखाई दे रहा था। कुछ देर बाद वह हंसते हुए बोली, “भला ऐसे भी!”
की कोई करता है? या मैंने उनके हाथ अपने हाथों में लिए और प्यार करने लगा, कुछ देर बाद वह नॉर्मल हो गई। वह बोली, “अच्छा हुआ कि तुमने मेरी बेटी को अभी तक प्यार नहीं किया, वरना उस बेचारी का ना जाने क्या होता।” जब तक वह इस रिश्ते को निभाने के लिए तैयार नहीं हो जाती, तुम मेरे साथ रह सकते हो, घर में आकर मेरे साथ खुशियां मनाया करो, मैं तो खुश हो गया था, कि बेटी के साथ मां भी फ्री मिल गई। उसे शायद अभी काफी तकलीफ हो रही थी। वह उठकर बाथरूम जाने लगी पर वह ठीक से चल नहीं पाई। बाथरूम से लौटकर वह विस्की की बोतल ले आई और दो पैक बनाकर हम दोनों ने पिए। वह बोली, “दामाद जी, आनंद तो बहुत आया पर तकलीफ भी बहुत है।” विस्की पीते हुए कब सुबह होने को आई पता ही नहीं चला। हम एक दूसरे के साथ कब सो गए पता ना चला। जब उठे तब 8:00 बज चुके थे। मेरी बड़ी की साली आ चुकी थी और वह हम दोनों को इस हालत में देख चुकी थी। वह उठकर जाने लगी, तो ठीक से चल भी नहीं पाई। बाहर निकली तो उनकी नजर ऋतु पर पड़ी, वह एकदम से सहम गई। मैं भी बाहर आया, मैंने सोचा चलो अच्छा है, इसे पता चल गया अब। मेरा काम और आसान हो जाएगा हो सकता है, यह भी मुझे मिल जाए। वह बोली, “ऋतु, क्या बात है? निशा कहां पर है?” ऋतु हड़बड़ा कर बोली, “वह अभी आ रही है,” फिर उसने कहा, “मॉम, तुम जीजू के कमरे में क्या कर रही थी? और यह लड़खड़ा कर क्यों चल रही हो?” तब वह हंसते हुए बोली, “कुछ नहीं बस टांग की थोड़ी सी नस दब गई है, इसलिए वह ऐसे चल रही है।” ऋतु हंस पड़ी और कुछ नहीं बोली। सासु मां तुरंत बाथरूम में चली गई। ऋतु मेरे पास आई और बोली, “जब इनकी यह हालत है तो तुम निशा की क्या हालत करोगे?” फिर मुझको चढ़ाते हुए अपने कमरे में भाग गई। मैं बाथरूम गया और फ्रेश होकर आ गया, तब तक निशा भी आ गई थी। वह रूपा से बातचीत कर रही थी, और मुझे देखकर थोड़ा डर भी रही थी। मेरी सास ने मुझसे कहा, “मैंने उसे समझा दिया है, धीरे-धीरे, वह समझ जाएगी कि शादी के बाद क्या होता है।” मैंने उन्हें खींचकर अपनी तरफ किया और कहा “समझ जाए, तो ठीक है, वरना तुम तो हो ही,” वह हम मुस्कुरा कर अलग हो गई और बोली “दामाद जी, समझा करो। उन दोनों ने देख लिया तो गजब हो जाएगा।” मैंने कहा “ऋतु तो देख चुकी है, अब डर काहे का,” पर वह मुझसे अलग होकर मुस्कुराते हुए बोली, “सबर कर लो, मेरे राजा, आज निशा के साथ तुम्हारी सुहागरात जरूर होगी पर मुझे मत भूल जाना। अब मैं तुम्हारे बिना रह नहीं पाऊंगी। तुमने मेरी भावनाओं को फिर से जगा दिया है।” मैं नाश्ता करने के बाद चला गया, अपने दोस्तों से मिला, और हम बार में पीकर फिल्म देखने चले गए, फिल्म बहुत ज्यादा रोमांटिक थी। फिल्म देखते हुए मैं कई बार बेताब हो गया था, प्यार का बुखार मेरे सर पर चढ़कर बोलने लगा था, घर लौटते समय मैं फिल्म के सींस को बार-बार सोच रहा था, और जब भी उन्हें सोचता निशा और ऋतु का चेहरा मेरे सामने आ जाता तब मैं बेकाबू होने लगा था। मैंने आज फैसला कर लिया था, कि आज अगर निशा अपनी मर्जी से राजी नहीं होगी तो मैं पता नहीं क्या कर दूंगा। मैं अपने ससुराल जाने लगा था। मैं बेकाबू हो रहा था, मैंने मन बना लिया था, कि आज चाहे जो भी हो, अपनी पत्नी को या ऋतु को जरूर प्यार करूंगा। और अगर वह भी राजी नहीं हुई, तो अपनी सासु मां तो है ही, घर पहुंचने पर ऋतु ने दरवाजा खोला, मेरी नजर सबसे पहले उसके भोले भाले मासूम चेहरे पर गई। मुझे अपनी और अजीब नजरों से देखते हुए ऋतु ने पूछा, “क्या बात है जीजू? ऐसे क्यों देख रहे हो?” मैंने कहा, “कुछ नहीं,” मैं थोड़ा लड़खड़ाते कदमों से अंदर आया, अंदर मैंने देखा ऋतु शायद बियर पी रही थी घर पर, और कोई नहीं दिखाई दे रहा था, तीन बियर की टीन खाली दिखाई दे रहे थे। मैंने ऋतु को देखा तो वह मस्त लग रही थी, नशे के खुमार में थी। मैंने कहा “निशा और मम्मी जी कहां हैं?” उसने कहा “मम्मी जी और निशा तो मामा जी के घर पर गई हुई है। शायद वह देर से लौटें।” ऋतु ने पूछा “क्या बात है जीजू?” मैंने कहा, “बस ऐसे ही, कुछ तबियत खराब हो गई है, मेरे हाथ पैरों में दर्द है। सोचा निशा से थोड़ी सी सेवा पानी करवा लेता।” ऋतु बोली, “आपने कोई दवाई ली?” या नहीं मैंने कहा अभी नहीं, मैंने जवाब दिया, और फिर अपने कमरे में जाकर लुंगी पहनकर बिस्तर पर लेट गया। थोड़ी देर बाद ऋतु आई और बोली “जीजू, अगर कुछ चाहिए तो मुझे बता देना,

” मेरे मन में तो आया कि कह दूं कि,
तू कि ऋतु, मुझे तुम्हारा प्यार चाहिए, पर मैं ऐसा कह नहीं सकता था। मैंने कहा, “ऋतु, मेरी टांगों में बहुत दर्द है। थोड़ा सा तेल लाकर मालिश कर दो प्लीज।” ऋतु चुपचाप आकर मेरे बिस्तर पर बैठ गई और मेरे पैर दबाने लगी। तभी मुझे एक आईडिया आया। दोस्तों, कहानी जारी रहेगी। इसका अगला भाग लेकर जल्दी आऊंगी।