
हेलो दोस्तों, आज की इस कहानी में आप सभी का स्वागत है। मैं अपने पति रमेश के साथ बड़े प्यार से जिंदगी गुज़र-बसर कर रही थी। मेरा एक 5 साल का बेटा है। मेरे पति खेती करके अच्छा-खासा कमा लेते थे और हम बढ़िया ढंग से जिंदगी गुज़ारते थे। मैं देखने में बहुत खूबसूरत थी। मेरी खूबसूरती की चर्चा आसपास के गांव में भी होती थी और हो भी क्यों ना? मेरे सुर्ख गाल, गुलाबी होंठ ऐसे लगते थे मानो गुलाब की पंखुड़ियां खिलने को बेताब हों। मेरे काले, घने और लंबे बालों में चमचमाता गोरा चेहरा ऐसा लगता था मानो बादलों को चीरकर चांद बाहर निकल आया हो।
एक दिन सुबह जैसे ही रमेश उठे तो उन्होंने देखा कि हमारे घर की जमीन अपने आप ऊपर उठी हुई है। जब यह सब मैंने देखा तो मैं बोली, “इसके नीचे ज़रूर कोई खजाना गड़ा है।” रमेश ने उस जगह को खोदा तो वहां एक खाली घड़ा मिला। मैं बोली, “माया ऐसे नहीं मिल जाती है, वह तो जिसकी किस्मत में होती है, उसे ही मिलती है।” रमेश भी खाली घड़े को देखकर मायूस हो गया।
अभी इस घटना को 10 दिन भी नहीं गुज़रे थे कि घर में फिर से ज़मीन उभरने लगी। इस बार रमेश ने जल्दबाज़ी नहीं की। उसने कुछ दिन इंतज़ार किया कि घड़ी दौलत खुद बाहर आ जाए, लेकिन कई दिन बीत जाने के बाद भी कुछ बाहर नहीं आया। हां, ज़मीन इन दिनों में और ऊपर उभर गई थी। रमेश ने ज़मीन खोदने की सोची तो मैंने उसे रोक लिया और कहा कि, “हम ऐसे दौलत हासिल नहीं कर सकते। इसे हासिल करने के लिए किसी पहुंचे हुए बाबा की मदद लेनी पड़ेगी जो हमें अपनी तंत्र विद्या से इस दौलत को दिला देगा।”
रमेश अब किसी पहुंचे हुए बाबा की तलाश में लग गया। कई दिन बीतने के बाद उसे एक जंगल में एक ऐसा तांत्रिक बाबा मिल गया जो बीमार लोगों का इलाज करने का दावा करता था। रमेश ने यहां तक कि सुन रखा था कि यह बाबा पैसा डबल भी कर देता है। रमेश अगले दिन बाबा के पास गया और बोला, “बाबा, मेरे घर की ज़मीन अपने आप ऊपर उठ जाती है। मुझे लगता है उसमें कोई खजाना गड़ा है।” बाबा को समझते देर ना लगी कि रमेश लालची है और बिना मेहनत किए ही दौलत हासिल करना चाहता है। बाबा ने रमेश से कहा, “ऐसा होता है। पुराने लोग ज़मीन में पैसे गाड़ देते थे जिस पर कोई माया कब्ज़ा कर लेती थी। इसे हासिल करना इतना आसान नहीं है। माया जिसकी किस्मत में होती है, उसके पास पहुंच जाती है और एक जगह से दूसरी जगह बदलती रहती है।”
बाबा की बात सुनकर रमेश बोला, “क्या मैं अपने घर में दबे इस दौलत को हासिल नहीं कर सकता?” बाबा बोला, “ऊपर वाला ही जानता है कि वह किसे मिलेगी। हां, कुछ तंत्र विद्या से उसे और कहीं जाने से रोका जा सकता है और बाद में उसे हासिल किया जा सकता है। उसे पाने के लिए तुम्हारे घर जाकर मंत्र पढ़ने पड़ेंगे। और हम बाबा लोग जंगल में रहते हैं। आज यहां, कल वहां, हमें खुद को नहीं पता। हम तो लोगों की मदद करने के लिए एक जगह से दूसरी जगह पर घूमते-फिरते हैं। हम किसी के घर नहीं जाते।”
रमेश मायूस होकर वहां से घर वापस लौट आया। घर आकर रमेश ने सारी बातें मुझको बताई और कहा कि बाबा ने घर पर आने से मना कर दिया है। “पता नहीं, अब यह दौलत हमें कैसे मिलेगी।” यह सुनकर मैं बोली, “हम दोनों कल दोबारा उनके पास चलते हैं। सुना है कि बाबा लोग औरतों पर बड़ा रहम करते हैं। मैं उनसे मिन्नतें करूंगी, शायद उनका दिल पिघल जाए।”
अगले दिन मैं और रमेश तांत्रिक बाबा के पास पहुंचे। मेरी जैसी हसीन खूबसूरत औरत को देखकर बाबा के अंदर का शैतान जाग गया। वह मन ही मन मेरे को पाने के लिए बेकरार हो उठा। जैसे ही मैंने और रमेश ने बाबा से घर चलकर उस खजाने को निकालने की मिन्नत की। बाबा पहले तो ऊपरी मन से मना करता रहा, फिर मेरे हाथ को अपने हाथ में पकड़ते हुए बोला, “ठीक है, मैं तुम्हारे घर चलकर वह खज़ाना तुम्हें दिलवा दूंगा। पर काम करते समय कोई मुझसे सवाल-जवाब नहीं करेगा और इस काम में कम से कम एक हफ्ता लगेगा। मैं जैसा कहूंगा, तुम दोनों को वैसा ही करना होगा। अगर तुम्हें मेरी यह शर्त मंजूर है तो मैं तुम्हारे घर चलने के लिए तैयार हूं।”
मेरी और रमेश की मानों मन की मुराद ही पूरी हो गई। मैंने फौरन कहा कि, “हम आपकी हर शर्त मानने को तैयार हैं, बस आप किसी भी तरह वह खजाना हमें हासिल करा दो।” तांत्रिक बाबा रमेश और मेरे साथ हमारे घर आकर रहने लगा। उसे वही कमरा दे दिया गया जहां ज़मीन ऊपर उठ रही थी। बाबा दो दिन तक उसने अपनी तंत्र विद्या का ढोंग करता रहा। एक दिन बाबा मुझसे बोला, “तुम्हारे पास कुछ रुपया या जेवर वगैरह हों तो ले आओ। दो दिन के अंदर सब डबल हो जाएगा। मैं माया को काबू में करके उस दौलत को हासिल करूंगा और तुम्हें दूंगा।” उससे पहले, मैं तुम्हारा सारा धन डबल कर देता हूं क्योंकि…
माया पर काबू पाने में अभी समय लगेगा। तुम दोनों ने मेरी इतनी खिदमत की है जिससे मैं बहुत खुश हूं। मैं चाहता हूं कि तुम्हारी मदद करके तुम्हें अमीर बना दूं। हम दोनों बाबा की बातों में आ गए। मैं अपने सारे जेवर ले आई और रमेश ने ₹2,00,000 जो जमा पूंजी थी, सब लाकर बाबा को दे दिया। बाबा अपनी खुशी छिपाते हुए बोला, “इन पैसों को एक पोटली में डाल दो और जो जेवर तुमने मुझे दिए हैं उन्हें भी पोटली में रख दो।” सभी एक जगह करके बाबा ने रमेश से कहा, “एक गड्ढा खोद दो और दोनों मिलकर अपने हाथ से इस पोटली को उसमें दबा दो। सुबह तक सब डबल हो जाएगा।” हमने ऐसा ही किया। फिर बाबा बोला, “अब तुम दोनों नहाकर आ जाओ। रात होते ही मैं मंत्रों का उच्चारण करना शुरू कर दूंगा। तुम दोनों आज रात यहीं मेरे साथ मंत्रों को दोहराते रहना। तब तक मैं तुम्हारे लिए स्पेशल प्रसाद तैयार करता हूं।” रात को मैं और रमेश बाबा के पास बैठ उसके बोले हुए मंत्रों को दोहराने लगे। तभी बाबा ने हमें अपने झोले से प्रसाद निकाल कर खाने के लिए दिया। हमने जल्दी-जल्दी बाबा का दिया हुआ प्रसाद खाना शुरू कर दिया लेकिन देखते ही देखते हम दोनों नींद में झूमने लगे क्योंकि उस प्रसाद में नशा मिला हुआ था। कुछ ही पलों में रमेश बेहोश हो गए। मेरी भी आंखें नहीं खुल रही थीं। बाबा मेरी तरफ बढ़ा तो मेरे को देखकर हक्का बक्का रह गया। बाबा ने बिना समय गवाएं मेरे पास आया और मेरी बेहोशी का फायदा उठाने लगा। मुझे लगा कि बाबा सिर्फ सारे पैसे लेकर चला जाएगा। लेकिन वह बहुत शैतान था। उसने मुझे देख लिया था और उसके मन में मेरे साथ मस्त वाला क्रिकेट खेलने की इच्छा जागृत हो चुकी थी। अब वह किसी भी हालत में मेरे साथ मस्त वाला क्रिकेट का खेल खेलना चाहता था। इसलिए उसने हम दोनों को नींद की दवाई दे दी। नींद की दवाई उसने प्रसाद में मिलाई थी और वह प्रसाद खाकर मैं और मेरा पति एकदम बेहोश हो गए। मुझे थोड़ा-थोड़ा होश फिर भी था लेकिन मेरा पति पूरी तरह से नींद में था। उस बाबा ने मेरे साथ 1 से 2 घंटे तक मस्त वाला क्रिकेट का खेल खेला। जब वह थक गया तो वह आराम करने लगा। वह 1 घंटे तक आराम किया और फिर से मेरे साथ क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया। मुझको महसूस हो रहा था लेकिन मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही थी। जब बाबा मेरे साथ खेलकर पूरी तरह शांत हो चुका तो उसने सारा सामान उठाया और रात के अंधेरे में वहां से रफूचक्कर हो गया। सुबह जब हम दोनों की आंख खुली तो हम सामने का नजारा देखकर दंग रह गए। जब हमने वहां गड्ढा खोदा हुआ देखा तो हमारे होश उड़ चुके थे। उसमें से रुपए और जेवर की पोटली गायब थी। हम दोनों एक दूसरे के गले लगकर रो रहे थे और एक दूसरे से कह रहे थे कि दौलत के लालच में हमने अपना सब कुछ गंवा दिया। मैं और रमेश अपने आप को कोस रहे थे। हमने अंधविश्वास के चलते दौलत के लालच में अपना जेवर और पैसा तो गंवाया ही, साथ ही मैंने अपनी इज्जत भी उस पाखंडी बाबा को लुटा दी थी। रमेश ने कई दिन तक उस बाबा को ढूंढने की कोशिश की। उस जंगल में भी गया पर उसे कुछ ना मिला। हमारा सब कुछ लुट गया था। तो दोस्तों, यह कहानी कैसी लगी, कमेंट करके जरूर बताएं।