
मेरे पड़ोस में एक आंटी जी रहती हैं। आंटी की उम्र कोई 40 साल की है। वह व्यवहार में बहुत अच्छी हैं। आंटी की एक जवान लड़की भी है जो अभी 20 साल की है। मैं रोज शाम को छत पर जाता था, तो उसी समय आंटी का भी अपनी छत पर टहलना होता था। मैं आंटी के साथ कभी-कभी बात कर लेता था। वह मुझसे बड़े ही स्नेह से बोलती थीं, तो मुझे उनसे बात करने में काफ़ी अच्छा लगता था। इसी वजह से हम दोनों काफ़ी घुल मिल गए थे। आंटी के पति की 4 साल पहले मृत्यु हो गई थी। तब से आंटी और उनकी लड़की घर में अकेले रहते थे। आंटी का बड़ा बेटा तो मुंबई में जॉब करता था। एक दिन मैं आंटी से यूँ ही इधर-उधर की बात कर रहा था। अपनी जिंदगी के बारे में बात करते-करते वह कुछ ज़्यादा ही भावुक हो गईं और रोने लगीं। मैंने कहा, “आंटी, आप प्लीज रोइए मत।” आंटी बोलीं, “बेटा, मैं एकदम अकेली हूँ, इसलिए मेरा मन नहीं लगता है।” मैंने कहा, “मैं तो हूँ आंटी, आप बोलो ना, आपको किस बात की कमी है?” सब कुछ तो है, लेकिन आंटी बोलीं, “तेरे अंकल बहुत अच्छे थे।

मुझे बहुत खुश रखते थे, मुझे उनकी बड़ी याद आती है।” भले किसी बात की कमी ना हो, लेकिन पति की ज़रूरत भला कौन पूरी कर सकता है? मैं आंटी की बात समझ रहा था, मगर मैंने कुछ नहीं बोला। कुछ देर बाद मैं अपने कमरे में आ गया। 1 घंटे बाद मैं खाना खाकर फिर से छत पर चला गया और टहलने लगा। आज गर्मी ज़्यादा होने और बिजली ना आने की वजह से आंटी भी छत पर ही सो रही थीं। उनकी लड़की भी उन्हीं के साथ सोने आने वाली थी, क्योंकि आंटी ने उसे ऊपर ही आने की आवाज़ दी थी। मैं छत पर एक तरफ़ पट्टी पर बैठ गया और Facebook चलाने लगा। मेरे सामने आंटी अपनी छत पर फ़ोल्डिंग पलंग पर लेटी थीं। उन्होंने मुझे नहीं देखा था। पता नहीं क्यों, आज मुझे आंटी को देखने का मन कर रहा था। मैंने उनसे कुछ भी बात नहीं की, बस यूँ ही अपनी छत पर मोबाइल चलाता रहा, तभी मैंने देखा कि आंटी कुछ देर बाद मोबाइल में कुछ देख रही थीं। मैं भी आंटी को देखता रहा। कुछ देर बाद आंटी कुछ करने लगीं। मैंने Facebook बंद कर ली और आंटी को देखने लगा, तभी मुझे नीचे से किसी के ऊपर आने की आवाज़ आई। तो मैं जल्द से पीछे होकर सीढ़ी के नीचे छिप गया। आंटी ने भी उस आवाज़ को सुन लिया। उनकी लड़की, मीनु ऊपर आ गई थी। उसने कहा, “मॉम, मैं आज थोड़ी बिजी हूँ, स्टडी के बाद छत पर आती हूँ, मुझे करीब 12:00 बज जाएँगे। आप सो जाना।” आंटी बोलीं, “ओके बेटा।” मीनु नीचे चली गई। उसके जाते ही आंटी अपने फ़ोन में वह देखने लगीं। मैं अब तक हैरान हो गया था कि आंटी क्या कर रही थीं। मैंने हिम्मत की और आगे आ गया। फिर पीछे से मैंने आंटी से बोला, “आंटी, आप यह क्या कर रही हो?” मेरी आवाज़ सुनकर आंटी एकदम से घबरा गई और शर्म से लाल हो गई। आंटी मेरे सामने चुपचाप बैठी रहीं। मैंने आंटी का मोबाइल ले लिया। मैंने मोबाइल बंद किया और बोला, “आंटी…” मेरी बात पूरी होने से पहले ही बोलीं, “राजीव, प्लीज… मैं चुप हो गया।” मैं बोला, “आंटी, यह सब क्यों?” आंटी बोलीं, “राजीव, मैं क्या करूँ, मुझे कुछ समझ में ही नहीं आता है।” मैं धीरे से बोला, “आंटी, क्या मैं आपकी कुछ हेल्प करूँ?” मेरी बात सुनकर आंटी चुप रहीं। मैं उठकर जाने लगा। आंटी बोलीं, “राजीव, तुम मीनु को तो कुछ नहीं बताओगे ना?” मैंने बोला, “मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगा।” आंटी बोलीं, “तो ठीक। आ जाओ,” मगर मैं डर रहा था। आंटी बोलीं, “राजीव, क्या हुआ?” मैंने बोला, “आंटी…” मैंने पहले कभी… आंटी मुस्कुराकर बोलीं, “कोई बात नहीं, बेटा।” वह बोलीं, “राजीव, मैं आज 4 साल बाद बहुत खुश हूँ।” उसके बाद हम दोनों बैठकर बातें करने लगे। कुछ देर बाद मैं अपने रूम में आ गया और सो गया। दूसरे दिन आंटी ने मुझे 4:00 बजे शाम को फ़ोन किया कि “आज तू खाना मत बनाना, मैं खाना तेरे रूम में ले आऊँगी।” फिर “आज रात तू मेरे कमरे में आ जाना, मैं दरवाज़ा खुला रखूँगी।” मैंने हाँ कर दिया। शाम को 7:00 बजे मैं टीवी देख रहा था। आंटी खाना लेकर आ गईं और बोलीं, “खाना खाकर कमरे में आ जाना।” मैंने बोला, “कितने बजे?” आंटी बोलीं, “9:00 बजे के करीब आ जाना।” आंटी ने मुझे ₹500 दिए थे और कुछ सामान लेने के लिए कहा। बाज़ार से सामान लाकर मैंने खाना खाया और आंटी के पास चला गया। एक कमरे में मीनु होमवर्क कर रही थी और आंटी दूसरे रूम में टीवी देख रही थीं। मैं कमरे में अंदर गया, तो आंटी ने टीवी बंद कर दिया और मीनु को आवाज़ लगा दी। मीनु ने उधर से ही आवाज़ लगाई, “क्या है मॉम?” मैं डर गया। आंटी बोलीं, “बेटा, मैं सो रही हूँ, तू दूध पीकर सो जाना।” मीनु बोली, “मॉम, आज जल्दी ही सो रही हो? आप तबीयत तो ठीक है ना आपकी?” आंटी बोलीं, “हाँ बेटा।” मीनु बोली, “ओके गुड नाईट मॉम।” फिर आंटी मुझसे बोलीं, “राजीव, आ जाओ मेरे शेर।” फिर कुछ देर बाद मैं अपने रूम में आ गया.