
हैलो दोस्तों यह कहानी जब कि मैं जिम जाता था. एक पड़ोसन आंटी वहां आने लगी. मैं उनको सिखाने लगा और उनके गर्म बदन को छूने लगा.
आप सबको मेरा नमस्कार.
आज मैं आपको अपनी और जिम वाली आंटी की सेक्स कहानी सुनाने जा रहा हूं जो कि आज से 5 साल पहले की है.
यह Desi sex story उस वक्त की है जब मैं 17 साल का था.
मेरे कॉलेज का पहला साल था और मुझे जिम जाना बहुत पसंद था.
मेरी अच्छी खासी बॉडी भी थी.
मैं अपनी सोसाइटी के जिम में ही जाया करता था जहां अक्सर बहुत सी औरतें भी आती रहती थीं.
हमारे जिम में एक 35 साल की आंटी आती थीं, उनका नाम कोमल था.
वे देखने में थोड़ी मोटी सी थीं, पर वे थीं बहुत सुंदर.
उनकी लंबाई 5 फुट 3 इंच थी और फिगर 36-32-40 की थी.
वे देखने में थोड़ी मोटी जरूर थीं पर उनके मम्मे इतने मस्त थे कि उन्हें देखकर कोई भी चूसना चाहेगा.
तो हुआ यूं कि कोमल भी मेरे ही टाइम पर जिम आने लगीं और उन्हें देखकर मैं उनकी तरफ बहुत आकर्षित हुआ.
शुरूआत में तो हमारी कोई बात नहीं हुई.
बस मैं उन्हें देखता ही रहता था और वे भी मुझे नोटिस करती थीं.
थोड़े दिन ऐसे ही चलता रहा.
फिर एक दिन उन्होंने मुझसे पूछा.
कोमल आप कब से जिम कर रहे हैं … आपकी बॉडी काफी अच्छी है!
मैं- मुझे अभी 1 साल हुआ है और आपको?
कोमल मैंने तो बस शुरूआत की है इसलिए मुझे तो कुछ आता ही नहीं है.
मैं- आप चाहें तो आप मेरे साथ जिम कर सकती हैं!
कोमल आपका धन्यवाद, मैं भी यही सोच रही थी. कल से हम दोनों साथ में करेंगे.
यह सुनकर मैं बहुत खुश हुआ और फिर अगले दिन हम साथ जिम करने लगे.
जिम करने का तरीका बताने के बहाने मैं उन्हें छू भी लेता था.
पर वे कुछ ना बोलतीं.
धीरे धीरे हमारी दोस्ती गहरी होती गई.
उन्होंने बताया कि उनके पति जॉब करते हैं और उनका बेटा हॉस्टल में पढ़ता है.
यह सुनते ही मैं बहुत खुश हुआ और उनको चोदने के ख्वाब देखने लगा.
मैं अब जिम में उनको कहीं भी छू लेता और वे कुछ नहीं कहतीं.
धीरे धीरे हमारी फोन पर बात हुई और हम और नजदीक आ गए.
उन्होंने मुझे बताया था कि उनकी और उनके पति की ज्यादा नहीं बनती है.
यह बात मेरे दिमाग में अक्सर घूमती रहती.
मैं यही सोचता कि कैसे आंटी को अपना बनाऊं और आंटी की खूब चुदायी करूं.
आंटी भी मुझसे चिपकने लगी थीं और अब वे भी जिम में अक्सर मुझे छू लेती थीं!
एक दिन जिम में बस हम दोनों ही थे.
तो मैंने सोचा क्यों ना आज फायदा उठाया जाए.
आंटी जिम करने में लगी हुई थीं और मैं बताने के बहाने धीरे धीरे उनके पास गया.
मैंने बड़ी हिम्मत करके आंटी की कमर पर हाथ रखा.
पर उन्होंने कुछ नहीं कहा.
धीरे धीरे मैंने अपना हाथ उनकी गांड पर रखा.
फिर भी उन्होंने कुछ नहीं बोला.
तब फिर मैंने हल्का हल्का दबाना शुरू किया.
पर फिर भी आंटी ने कुछ नहीं कहा.
उसके बाद जिम में कोई आ गया और हम दोनों अपने अपने घर चले गए.
अगले दिन करीब 11 बजे आंटी का मैसेज आया.
वे मुझे कॉफी के लिए बुला रही थीं.
मैं फटाफट तैयार होकर पहुंच गया और मैंने बेल बजाई.
जैसे ही गेट खुला तो मैं देखता ही रह गया.
आंटी ने लाल रंग की साड़ी पहन रखी थी और उसमें वे एक अप्सरा लग रही थीं.
मैं उन्हें देखता ही रह गया.
फिर आंटी बोलीं- देखते ही रहोगे या अन्दर भी आओगे!
मैं चुपचाप अन्दर गया और सोफे पर बैठ गया.
आंटी कॉफी लेकर आईं और हम दोनों बैठकर पीने लगे.
तभी आंटी बोलीं- जुबान भी चलती है या बस हाथ ही चलते हैं.
यह कह कर आंटी हंसने लगीं.
मैं एकदम से डर गया और चुपचाप बैठा रहा.
कोमल तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?
मैं- नहीं, पर क्यों?
कोमल- जिस तरह हाथ चल रहे थे, लग तो रहा था!
मैं- मतलब!
कोमल पसंद करते हो मुझे?
मैं- ऐसा नहीं है!
कोम- मतलब अच्छी नहीं हूं मैं?
मैं एकदम घबराकर बोला- नहीं नहीं … ऐसा नहीं है … आप मुझे बहुत पसंद हैं!
कोमल आंटी ने मेरी तरफ देखा और बहुत तेज हंसने लगीं.
मेरी समझ से सब बाहर था, तभी कोमल आंटी बोलीं- शादी करोगे मुझसे?
मैं एकदम से बोल पड़ा- हां मैं करूंगा शादी!
वे खड़ी हुईं और मेरा हाथ पकड़ कर घर के मंदिर के सामने ले गईं और मेरे हाथ में सिंदूर थमा दिया.
मैंने भी बिना सोचे समझे उनकी मांग भर दी.
मांग भरते ही उन्होंने मेरे पैर छुए और मैंने उन्हें पहली बार अपने गले से लगाया.
गले लगाते ही मुझे ऐसा सुकून मिला मानो वे मेरी असली पत्नी बन गई हों.
फिर वे मुझे बेडरूम में लेकर गईं और हम दोनों बेड पर लेट गए.
मैंने धीरे धीरे अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए और बिना किसी हलचल के मैं धीरे धीरे उन्हें चूसने लगा.
कोमल आंटी भी मेरा साथ देने लगीं और एकदम से बोलीं- आई लव यू यार!

आंटी भी मदहोश होने लगीं और मेरे बाल पकड़ कर चूत पर लगाने लगीं.
मेरा लौड़ा तनकर सलामी दे रहा था.
कोमल आंटी ने देर ना करते हुए मेरे सारे कपड़े उतार दिए और वे मेरे खड़े लौड़े को देखकर हैरान हो गईं!
कोमल इतना बड़ा लौड़ा मैंने आज तक नहीं देखा!
मैं- अब रोज देखना मेरी जान!
इतना सुनते ही वे लौड़े को बुरी तरह से चूसने लगीं.
मेरी भी आंखें बंद होने लगीं.
कुछ देर बाद उन्होंने अपने मुँह से लंड बाहर निकाला और मेरी तरफ वासना से देखती हुई अपनी चूत मसलने लगीं.
मैं समझ गया और मैंने उन्हें इशारा कर दिया.
अब हम दोनों 69 की पोजीशन में आकर लंड चूत चूसने लगे.
वे मेरे मुँह पर अपनी चूत को जबरदस्त घिस रही थीं.
मैंने पूछा- कब से सर्विस नहीं हुई है इस चूत की?
वे बोलीं- साला बहन का लौड़ा दारू पीकर आता है और बिना चोदे सो जाता है!
मैंने कहा- फिर भी कब से लंड नहीं मिला है?
वे बोलीं- दो साल से प्यासी हूँ.
मैंने कहा- तो आपने लंड ढूँढने में देर क्यों लगाई?
वे बोलीं- मैं ऐसे राह चलते किसी से भी नहीं चुदवा सकती हूँ!
मैंने कहा- मैं कब पसंद आया था?
वे हंस दीं और बोलीं- पहले दिन से ही तुम मुझे पसंद आ गए थे.
अब हम दोनों झूम कर एक दूसरे को प्यार कर रहे थे.
फिर हम दोनों बिना कपड़ों के शाम तक एक दूसरे को प्यार करते रहे.
बाद में अंकल के आने का टाइम हुआ तो मैं अपने कपड़े पहनकर अपने घर चला गया.
दोस्तो, उस दिन के बाद हम रोज मिलते और खूब चुदायी करते हैं.
हमारा रिश्ता आज भी चल रहा है और हम दोनों पति पत्नी की तरह रह रहे हैं और एक दूसरे को बहुत प्यार करते हैं.