
अपने कमरे में खिड़कियाँ बंद करके आराम से बैठा हुआ था। मैं गलती से अंदर से दरवाजे की कुंडी लगाना भूल गया था। उसी वक्त अचानक मेरी चाची अंदर आ गई। सामने का नज़ारा देखकर वो तुरंत बाहर भाग गई। लेकिन मैंने अपना काम रोकना सही नहीं समझा। जब मैं बाहर आया, तो चाची बोली, “क्यों समीर? अंदर क्या कर रहे थे?” मैंने कहा, “चाची, आपको पता ही है।” अब मेरे मुंह से क्या सुनना चाहती है? चाची बोली, “वह सब ठीक है, लेकिन तुम्हें अपना कमरा बंद नहीं करना चाहिए था।” मैंने कहा, “चाची, मुझे क्या पता था कि तुम उसी वक्त कमरे में आ जाओगी। वैसे भी, मैं तो कुछ गलत कर नहीं रहा था।” चाची बोली, “वह बात नहीं है, लेकिन फिर भी तुम्हें पता है। जब कोई उस काम को करते हुए देख लेता है, तो उसका मन भी वही सब करने को लगने लगता है।” मैंने कहा, “तो चाची, तुम भी आ जाया करो।” चाची बोली, “मन तो मेरा भी बहुत कर रहा है, लेकिन तुम्हें तो पता है। तुम्हारा चाचा कई दिनों से घर से बाहर गया हुआ है और मैं अकेली वह सब कैसे करूंगी?” मैंने कहा, “चाची, अगर आप बुरा न मानें, तो मैं आपकी मदद कर दूंगा। मैं आपके साथ वह सब काम कर सकता हूं।” चाची बोली, “तेरा दिमाग खराब है।” इससे पहले कि चाची और कुछ बोल पाती, मैं तुरंत वहां से भाग गया। वैसे भी, मैं तो अपनी चाची के साथ बहुत पहले से वह काम करना चाहता था, लेकिन हां, कहने की हिम्मत नहीं हो रही थी। आज चाची ने मुझे देख लिया था, तो आज वह बात कहने का सही टाइम आ गया था और माहौल भी था। इसलिए मैंने वह बात कह दी। इससे एक बात मुझे पता लगी कि बात कहने का भी एक सही समय आता है। उस समय बात कर लेनी चाहिए। उस समय आपकी बात पूरी होने के बहुत चांस होते हैं। एक दिन चाचा और चाची छत पर काम कर रहे थे। मैं उन्हें यह सब करते हुए देख रहा था। मैंने कुछ देर खड़े होकर देखा। मेरे सामने फेस टू फेस एक फिल्म चल रही थी। मुझे चाचा-चाची को देखकर बहुत मज़ा आ रहा था। चाचा अपनी सारी जान लगाकर काम कर रहा था। उस समय मेरी शादी नहीं हुई थी।

मैं 22 साल का हूं और मेरी चाची बहुत खूबसूरत थी। वह हमेशा मेरे साथ मजाक मस्ती करती रहती थी। चाची और मेरे बीच एक अच्छा दोस्ती वाला रिश्ता था। जब चाची हमारे घर में नई-नई आई थी, तो उनमें बहुत घमंड था और घमंड होना भी चाहिए था, क्योंकि वह किसी से कम नहीं थी। चाची की ऊंचाई और लंबाई बहुत थी। उनकी आंखें गोल और भरी-भरी थीं। जब वह एक साथ मेरी तरफ देखतीं, तो मेरा सीना चीरकर रख देती थीं। जब मैं कोई बात करता, तो वह मुंह टेढ़ा कर लेती थीं। तब से मैं समझ गया था कि चाची में खूबसूरती का घमंड भरा हुआ है। चाचा एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे। जहां वह काम करते थे,
वह हमारे घर से 50 कि.मी. दूर था। उन्हें वापस आते-आते आधी रात हो जाती थी। कभी-कभी तो वह घर वापस नहीं आते और वहीं ठहर जाते थे। वह बस अब वहीं रहने का प्रबंध कर रहे थे, क्योंकि घर रोजाना आना-जाना बहुत दूर पड़ जाता था। जब चाचाजी वापस नहीं आते थे, तो चाची अपने कमरे में अकेली रहती थीं। मैंने चाची को कई बार अकेले देखा था और उन्हें देखकर ही मैंने भी महसूस किया कि मेरे चाचा आधी रात घर आते हैं, कभी काम करते हैं और कभी नहीं। जितनी चाची को प्यार की ज़रूरत थी, चाचा उतना प्यार चाची को नहीं दे पा रहे थे। यह बात मुझे पूरी तरह से समझ आ गई थी। एक दिन सुबह मैंने देखा, चाची बहुत उदास लग रही थीं, तो मैंने उनसे पूछा, “क्या हुआ चाची? आप उदास लग रही हैं?” चाची बोली, “मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही।” फिर मैंने उनके लिए मेडिकल स्टोर से दवाई ले आई। दवाई खाकर चाची अपने कमरे में चली गईं। थोड़ी देर बाद, उनका हालचाल पूछने के लिए मैं उनके कमरे में गया, तो देखा कि उन्हें काफी बुखार था। मैंने कहा, “चाची, चाचाजी आज घर नहीं आएंगे?” चाची बोली, “वह ऑफिस के काम के लिए कुछ दिनों के लिए बाहर गए हैं।” मैंने कहा, “अब क्या करूं? चाची की तबीयत तो बिगड़ती जा रही है।” तभी मुझे ध्यान आया। मेरा एक दोस्त था अमन, उसके पापा डॉक्टर थे। मैंने तुरंत अमन को फ़ोन किया और कहा, “अमन, तुम्हें एक काम करना है।” वह बोला, “हां, बताओ क्या काम है?” मैंने कहा, “तो जल्दी से अपने पापा को मेरे घर भेज दे, मेरी चाची की तबीयत बहुत खराब है।” वह बोला, “ठीक है, यार। मैं अभी भेज देता हूं।” थोड़ी देर बाद अमन के पापा आ गए। उन्होंने चाची को एक इंजेक्शन लगा दिया और कुछ दवाइयां लिखीं। करीब एक घंटे बाद चाची को आराम मिला।
गया।

फिर सुबह मैं बाथरूम जा रहा था, तो चाची बोली, “समीर, 1 मिनट आ मेरे पास।” मैं उनके पास गया। चाची बोली, “मुझे माफ़ कर दो।” मैंने पूछा, “किसके लिए?” तो चाची बोली, “जब से मैं इस घर में आई हूं, एक बार भी तुझसे सीधे मुंह बात नहीं की और तू मेरा कितना ख्याल रखता है। यह कल मुझे पता चला, जब मेरी तबीयत खराब थी।” मैंने कहा, “चाची, कोई बात नहीं। मैं तो तुम्हें अपनी ही मानता हूं।” फिर मैंने सोचा कि चाची, तुझे अपने दिल की बात कह दूं, यही सही मौका है। लेकिन मैंने सोचा, अभी दिल की बात बताना बेवकूफ़ी होगी, क्योंकि अभी तो चाची मेरी और बात करने लगी है। अगर मैं अभी बता दूंगा तो बहुत जल्दी हो जाएगा, और चाची भी नहीं कर सकेगी। इसलिए पहले चाची के साथ और ज़्यादा प्यार पाना पड़ेगा। इसके बाद चाची और मेरे बीच एक अच्छी दोस्ती हो गई। मैं चाची की हर बात मानता और जो भी काम वो कहती, मैं दौड़-दौड़ कर कर देता। चाची अब मेरे प्रति थोड़ी ज़्यादा आकर्षित होने लगी थी। एक दिन चाची ने मुझसे कहा, “समीर, तुम्हारा चाचा तो कभी-कभी ही घर आता है। तुम रात को मेरे कमरे में आ जाया करो। हम दोनों बातें कर लेंगे या एक साथ बैठकर फिल्म देख लेंगे। अकेले में मेरा कमरे में जी नहीं लगता।” मैंने अपने मन में सोचा, “लो, चाची मुझे हिंट दे रही हैं। डायरेक्ट कहने से, तो अब मुझे और भी आसान हो गया। अब किसी भी तरह से अपनी बात कह ही दूंगा।” मैं चाची के कमरे में गया, तो चाची अभी भी घर के काम कर रही थी। चाची को देख कर मेरा मन मचल गया और मैंने मोबाइल में मूवी देखने लगा। वीडियो की आवाज़ पूरी ऊंची थी और पूरे कमरे में सुनाई दे रही थी। चाची के पीछे का मुंह कमरे के गेट की ओर नहीं था, बल्कि टेढ़ा था। इसलिए बाहर से कोई आ रहा है, इसका पता नहीं चल सकता था। मैं अपनी मस्ती में फिल्म देख रहा था और आवाज़ का आनंद ले रहा था। मुझे यह भी पता नहीं चला कि कब चाची कमरे में आ गई। चाची भी पीछे आकर वह फिल्म देख रही थी, लेकिन मुझे यह पता नहीं चला। चाची ने खंकार मारी और मैं उस फिल्म से ध्यान हटा कर देखा तो पीछे चाची खड़ी हंस रही थी। मैं जल्दी-जल्दी फिल्म बंद कर दिया और पूरी तरह घबरा गया। चाची ने मेरा कान पकड़ कर कहा, “क्यों, अब क्यों बंद कर दिया? क्या डर गया?” मैंने थोड़े हँसते हुए और थोड़े घबराते हुए कहा, “चाची, डर लगता है, जब कोई वो फिल्म देखते हुए पकड़ लेता है।” वह बोली, “अच्छा, अब तुम्हें डर लगता है? जब चाची के कमरे में फिल्म देखने लगे थे तब तो डर नहीं लगा कि चाची कब आ सकती है?”
मैंने कहा, “चाची, बस क्या बताऊं। आपके कमरे में पता नहीं क्या है, बस जब आना होता है तो मन मचलने लगता है।” मैं चाची का हाथ पकड़ कर बेड पर बैठ गया और कहा, “चाची, मैं एक बात कहना चाहता था, क्या तुम बुरा तो नहीं मानोगी?” चाची बोली, “तू तो कुछ भी कह ले, मैं अब बुरा नहीं मानूंगी।” मैंने कहा, “अगर मुझे बुरा मानना होता तो जो तुमने हरकत की उसे देख कर तो मैं तुझे कमरे से बाहर निकाल देती।” मैंने थोड़ी नज़रें झुका ली और फिर कहा, “चाची, जब तुम पहली बार इस घर में आई थीं, तब से मुझे तुम बहुत अच्छी लगती हो।” चाची बोली, “अच्छा जी। तो फिर क्या करें?” मैंने कहा, “चाची, मैं तुम्हारे साथ…” चाची बोली, “समीर, पर यह कैसे हो सकता है? अगर यह बात तुम्हारे चाचा को पता लग गई तो वह मुझे नहीं छोड़ेंगे।” मैंने कहा, “चाची, हम घर वालों की नज़र से छुप कर काम करेंगे।” चाची बोली, “नहीं, मैं तुम्हारे साथ वह सब नहीं करूंगी।” मैंने कहा, “चाची, मैं तुमसे वादा करता हूं कि हमारी बात घर के तीसरे व्यक्ति को नहीं पता लगेगी।” चाची बोली, “पर समीर, मैं तो तुम्हारी चाची हूं।” मैंने कहा, “तो क्या हुआ? हम कुछ गलत नहीं कर रहे हैं।” चाची ने कहा, “तू तो देख ले, चाचा तो आधी रात को घर आता है, थका हुआ। कभी-कभी वह तुम्हें खुश करता है, कभी नहीं। मुझे चाचा जी के बारे में सब पता है। बस तुम खुश रहने का दिखावा करती हो।” चाची का चेहरा वहीं उतर गया और चाची का चेहरा देखकर मुझे सच का पता लग गया। चाची बोली, “हां, समीर, तुम सच कह रहे हो। बस टाइम ही बीतता है। मैं चाचा जी से खुश नहीं हूं। तुम्हारा चाचा बस यह बहाना बनाकर जल्दी सो जाता है
इतनी दूर से चलकर आया, अब मैं थक गई हूं। मुझे नींद आ रही है। रोज़-रोज़ तो मैं उन्हें खुश करने के लिए फ़ोर्स भी नहीं कर सकती। उन्हें खुद ही सोचना चाहिए कि वह मेरा ख्याल रखें। वह तो बस तब प्यार करते हैं जब उनका मूड होता है। उन्हें मेरी तो थोड़ी भी फ़िक्र नहीं होती कि अब मेरा मूड है या नहीं।”

वह बस अपना ही देखते हैं। इन बातों को सुनकर मैं चौंक गया। मैंने कहा, “चाची, तभी तो मैं तुम्हारी इतनी फिक्र करता हूं। तभी तो मैं कह रहा हूं कि मैं तुम्हें खुश कर सकता हूं।” चाची, मैं तुम्हारी हर एक फीलिंग को समझता हूं। तब चाची ने मेरा हाथ पकड़कर उसे कसकर दबाते हुए कहा, “जब चाची ने मेरा हाथ दबाया तो मुझे पता लग गया कि चाची अंदर कितनी तड़प रही है।” चाची ने कहा, “अच्छा, समीर, तुम इतनी फीलिंग समझते हो, कितने समझदार हो गए हो। मैंने तो कभी तुम्हारी ओर ध्यान नहीं दिया।” मैंने कहा, “हां, चाची, मैं तुम्हें पूरी तरह समझता हूं।” चाची बोली, “चल, मैं सोचकर बताती हूं। अब तुम अपने कमरे में जाओ।” जिस हिसाब से चाची ने मुझे कमरे में भेजा, वह मुझे पसंद नहीं आया। मेरा पूरा मूड खराब हो गया। लगा था, अब कुछ भी नहीं हो सकता था। अगले दिन, मैं सुबह बाथरूम में नहाकर बाहर निकला। उस समय ही चाची भी आ गई। वह बोली, “आज बड़ा स्मार्ट लग रहा है मेरा समीर।” मैंने कुछ नहीं कहा और अपने कमरे में चला गया। मैं चाची से नाराज था। थोड़ी देर बाद चाची मेरे कमरे में आईं और बोलीं, “क्या हुआ समीर? तुम मेरे से नाराज हो गए?” मैंने कहा, “आप मेरे पास जाएं, अपने काम करें। मैं आपके साथ कोई बात नहीं करना चाहता।” फिर मैं अपने काम के लिए बाहर चला गया। जब मैं शाम को घर वापस आया तो देखा कि चाचा जी भी घर आ चुके थे। मेरा मूड और भी खराब हो गया क्योंकि अब मेरा सपना सपना ही रह जाएगा। चाचा ने मुझे देखकर कहा, “समीर, कैसे हो?” मैंने कहा, “ठीक हूं चाचा जी।” फिर मैं अपने कमरे में चला गया।
थोड़ी देर बाद चाचा ने मुझे बुलाया और बोले, “आ जाओ समीर, खाना खा ले।” फिर हम बैठकर खाना खाने लगे। मैं चाची की ओर नजरें मार रहा था। चाची मुझे देखकर मुस्कुराने लगीं और चुप रहने का इशारा करने लगीं। चाचा ने मुझसे पहले खाना खा लिया और फिर अपने कमरे में चले गए। मैं धीरे-धीरे खाना खा रहा था। तब चाची मेरे पास आकर बोली, “क्या बात है समीर? तुम मुझसे नाराज हो?” मैंने कहा, “हां।” वह बोली, “तो मेरी बात क्यों नहीं समझ रहा? यह गलत है।” मैंने कहा, “इसमें गलत क्या है?” चाची बोली, “तू अपने कमरे में जा, खाना खाकर सो जा।” मैंने कहा, “मैं सोऊंगा कि जागूंगा, आपको इससे क्या? और मैंने कहा, मैं आज रात छत पर ही बैठा रहूंगा। बिल्कुल नहीं सोऊंगा।” यह कह कर, मैं अपने कमरे में चला गया। मैंने ठान लिया था कि चाहे कुछ भी हो जाए, एक बार तो अपना सपना पूरा करके ही रहूंगा। जब सब सो गए, मैंने अपने कमरे का दरवाजा जोर से खोला, ताकि चाची को पता लग जाए कि मैं छत पर जा रहा हूं। फिर मैं छत पर चला गया। मैं वहां दो मिनट तक बैठा रहा, तभी मुझे पायल की आवाज सुनाई दी। पीछे मुड़कर देखा तो चाची छत पर आ रही थी। वह मेरे पास आकर बैठ गईं और बोलीं, “तू पागल हो गया है। इतनी रात को इधर छत पर क्या कर रहा है?” मैंने कहा, “मेरी मर्जी। मैं वही करूंगा जो चाहता हूं। आप नीचे जाइए।” चाची ने मेरा हाथ पकड़कर अपने हाथों में लिया और बोलीं, “समीर, अंदर से तो मैं भी तेरे साथ हूं पर अब हम वह काम नहीं कर रहे हैं। यह हमारे दोनों के लिए ही अच्छा होगा। क्योंकि जो काम तू मेरे साथ करना चाहता है, वह तू एक दिन जरूर करेगा पर थोड़ा सा सब्र करना और अच्छा होगा।” चाची की बात मैंने समझ ली। मैंने कहा, “ठीक है चाची।” सुबह चाचा ने कहा, “समीर, मेरी बात ध्यान से सुन।” मैंने कहा, “हां, बताइए।” चाचा बोले, “मैं तुम दोनों को एक बात बताने आया हूं। मैं अब दोबारा वापस नहीं आऊंगा। मैं कंपनी के काम से बाहर जा रहा हूं। लगभग 6 महीने बाद ही वापस आऊंगा।” मैंने कहा, “अच्छा चाचा जी।” चाचा बोले, “हां, और अब इस घर की जिम्मेदारी तेरी है। तू अपनी चाची का भी अच्छे से ख्याल रखना।” मैंने कहा, “चाचा जी, आप बेफिक्र रहें। मैं इस घर की जिम्मेदारी संभाल लूंगा और इसे खुद ही संभालूंगा। और रही बात चाची की, तो चाची का मैं बहुत ख्याल रखूंगा। आप बेफिक्र रहें।” चाचा ने कहा, “अब से एक घंटे बाद मेरी ट्रेन है।” फिर मैंने चाचा को स्टेशन पर छोड़ने चला गया। जब मैं घर वापस आया तो चाची का मूड बिगड़ा हुआ था। चाची रो रही थी। मैंने कहा, “चाची, क्या हुआ? आप क्यों रो रही हैं?” तो चाची बोली, “रो क्यों नहीं? और क्या करूं? तेरा चाचा पहले भी कई दिनों बाद आता था और अब तो सीधा 6 महीने के लिए चला गया।” यह कह कर, वह और भी रोने लगी। मैंने चाची को
सर पर बिठाकर कहा, “चाची, कोई बात नहीं। चाचा ने अपने काम के लिए जाना ही था, और मैं तो हूं आपके साथ आपका ख्याल रखने के लिए।” यह कहते ही चाची ने मुझे गले लगा लिया। इसके बाद तो बिना कुछ कहे चाची ने मेरे साथ शुरुआत कर दी। इससे आगे की बात तो बढ़ती गई, क्योंकि चाची अब बहुत दुखी थी और पूरी तरह तैयार हो गई थी। उन्होंने बिना कुछ देखे सारा प्यार मुझे दे दिया। फिर मैंने भी पीछे नहीं रहा। चाचा का जो चाची को अधूरा छोड़ देते थे, मैं आज वह कमी पूरी कर रहा था। मैंने सारी रात चाची की पूरी सेवा की। रात के करीब 3:00 बजे थे। फिर कहीं जाकर हम दोनों सो गए। अगले दिन जब चाची उठी, तो चाची के चेहरे से साफ पता चल रहा था कि चाची वास्तव में खुश हैं। इसके बाद चाची ने मेरा हाथ पकड़ कर बोला, “थैंक यू समीर।” जिस खुशी की तुमने मुझे दी है, उसके लिए मैं तो नहीं जानती कब से तुम तड़प रहे थे। मैंने कहा, “चाची, आप तो मेरी बात ही नहीं मान रही थीं।” साथ ही देखो, आज आपके चेहरे की खुशी ही बता रही है कि आप अंदर से कितनी खुश हैं। इसके बाद चाची ने मुझे गले लगाकर बोला, “शुक्रिया मेरे समीर।” उस दिन के बाद से मैंने चाची के कमरे में ही सोना शुरू कर दिया और अब हम दोनों रोजाना खुश रहने लगे। यह थी मेरी और चाची की कहानी। तो दोस्तों, कैसी लगी मेरी यह कहानी? अगर मेरी यह कहानी आपको अच्छी लगी, तो कमेंट सेक्शन में जरूर बताइएगा। और ऐसी ही कहानी और एक नई और कहानी के साथ, तब तक के लिए बाय।