
नौकर जोर लगा-लगा कर मेरा मसाज करता। मैं उसको पैसे पकड़ती तो कहता, “रहने दो मालकिन, वसूली रात को करूंगा।” मैं कुछ समझ नहीं पाती। जैसे-जैसे वह मसाज करता, मुझ पर खुमारी बढ़ती ही जाती और मैं सुकून से गहरी नींद सो जाती। लेकिन एक रात मुझे नींद नहीं आई। मेरे होश उड़ गए, जब उस रात मसाज करते-करते… मेरा नाम स्वराली है। मैं बहुत खूबसूरत थी। इसलिए शादी से पहले हर दिन मेरे लिए रिश्ता आता था। मैं अपने मां-बाप की इकलौती बेटी थी, इसलिए मेरा बाप चाहता था कि मैं डॉक्टर बनकर उसका नाम रोशन करूं। मगर जब मेरे लिए इतने अच्छे रिश्ते आते थे तो मेरी मां मुझे कहती कि, “तुम अपनी पढ़ाई छोड़ दो, ताकि मैं तुम्हारी शादी कर दूं।” मगर मैं अपनी मां से कहती थी कि, “मुझे तो डॉक्टर बनना है।” मगर यह सुनकर मेरी मां को गुस्सा आ जाता था और वह कहती थी कि “तुम अभी शादी कर लो, यह डॉक्टर की बाद में कर लेना।” मगर मेरा बाप नहीं मानता था। इसलिए मेरी मां एक बुजुर्ग बाबा के पास गई और उनसे कहा कि, “मैं अपनी बेटी की शादी करना चाहती हूं, मगर उसका बाप नहीं मान रहा। कोई ऐसा ताबीज़ दो कि उसका बाप शादी के लिए फौरन मान जाए।” उस बुजुर्ग ने मेरी मां से ₹2000 लिए और ऐसा ताबीज़ दिया कि मेरा बाप मेरी शादी के लिए फौरन मान गया। यह रिश्ता दरअसल मेरे बाप के दोस्त ने अपने बेटे के लिए मांगा था और कहा कि, “आपकी बेटी शादी के बाद भी डॉक्टर बन सकती है।” यह सुनकर मेरे बाप ने उससे शादी के लिए फौरन हां कर दिया। और मैं विदा होकर अपने ससुराल आ गई। मेरे ससुराल वाले बहुत अमीर थे। इसलिए मैं और मेरे पति अलग घर में रहते थे। मेरा पति अपने बाप का बिजनेस संभालता था,
इसलिए वह सुबह से शाम तक बिजी रहता था। मैं उसके घर गई तो यह ऐशो-आराम देखकर मैं चौंक गई। मेरे पति ने मेरी सेवा के लिए कई नौकरानियां रखी हुई थीं। मगर उसका एक नौकर धीरे-धीरे मेरे करीब आने लगा। उस नौकर ने मुझसे कहा कि, “मैं यह काफी सालों से काम कर रहा हूं और आपके ससुराल वाले मुझे बिल्कुल घर के मेंबर की तरह ही समझते हैं।” यह सुनकर मैंने भी उसे खास अहमियत देना शुरू कर दी। वह एक दिन मेरे कमरे में आ गया, तो मैं अभी तक बिस्तर में लेटी हुई थी। उसने मुझे थका-थका देखा तो कहने लगा कि, “आप लेटे रहो, थक गई होंगी। अगर आपको एतराज़ ना हो तो मैं आपके पैर दबा दूं।” यह सुनकर मैं चौंक गई। मैं खूबसूरत थी, जवान थी, लेकिन मुझे मेरे पति के अलावा किसी मर्द ने नहीं छुआ था और ना ही मैंने किसी नौकर से कभी अपने पैर दबवाए थे। इसलिए मैंने फौरन मना कर दिया, “नहीं, मुझे अच्छा नहीं लगता कि कोई पराया मुझे छुए।” यह सुनकर वह चुप हो गया और मेरे कमरे से चला गया। तभी मुझे एहसास हुआ कि मैंने उसकी बात का जवाब बहुत सख्ती से दिया था। शायद वह पहले भी मेरे ससुराल में ऐसे काम करता होगा। मगर मैंने साफ इंकार करके उसका दिल तोड़ दिया था। दरअसल मैं बहुत नरम दिल थी, इसलिए मुझे बाद में अफसोस होने लगा। मैं उसके बारे में सोचने लगी कि, “यह नौकर तो काफी जवान और खूबसूरत है। मुझे इससे पैर नहीं दबाना चाहिए था। शायद मेरे पति को यह बात अच्छी ना लगे।” अगले दिन भी ऐसा हुआ। नौकर ने यही बात मुझे दोबारा कहा। मैं उस दिन बहुत थकी हुई थी, इसलिए मैंने अपने पैर बिस्तर से नीचे कर लिए और उससे कहा कि, “तुम मेरे पैर दबा दो।” यह सुनकर वह खुश हो गया और उसने मेरे पैर दबाने शुरू कर दिए। वह इतने धीरे-धीरे पैर दबा रहा था कि मुझे फिर से नींद आने लगी। यह देखकर वह नौकर कहने लगा, “मालकिन आपको नींद आ रही है। आप बिस्तर पर लेट जाओ। मैं आपके पैर दबाता रहूंगा।” मैं जैसे मदहोशी में थी, इसलिए फौरन बिस्तर पर लेट गई। वह नौकर बिस्तर पर आ गया और मेरे पैर दबाने लगा। उसके बाद मुझे होश नहीं रहा और मैं सो गई। मुझे नहीं पता था कि मैं कितने घंटे सोती रही। मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि वह नौकर अभी तक मेरे पैर दबा रहा था।
यह देखकर मुझे उस पर तरस आ गया और मैंने हाथ बढ़ा कर अपने पर्स खोली और कुछ नोट निकाले और उस नौकर के हाथ में रख दिए। यह देखकर वह शर्माने लगा, “मालकिन आप मुझे पैसे देकर शर्मिंदा कर रही है। मेरी सैलरी अच्छी है, मुझे इन पैसों की जरूरत नहीं है।” यह सुनकर मैंने उससे कहा कि, “यह पैसे तुम्हारी मेहनत के हैं।” यह सुनकर उस नौकर ने मुंह से वह पैसे लिए और मेरे कमरे से निकल गया। मेरा पति रात को देर से आता था। इसलिए मैंने शाम को फिर उस नौकर को अपने कमरे में बुलाया और उसी से कहा कि, “तुम्हारी मालिश से मुझे बहुत अच्छी नींद आती है। इसलिए जब तक मेरा पति घर नहीं आ जाता, तब तक तुम मेरे कमरे में ही रहना।” शायद नौकर को पैसे का लालच आ गया था। इसलिए वह मेरी बात सुनकर खुश हो गया और कहने लगा, “मैं तो आपका मामूली सा नौकर हूं। जैसा आप कहोगे मैं वैसा करूंगा। आपके पैर दबाता रहूंगा, ताकि आपकी थकान उतर जाए और आपको सुकून मिले।” यह सुनकर मैंने उसे कहा कि, “तुम्हारे हाथों में जादू है, इसलिए तो मेरी सारी थकावटें…”
वहां उतर जाती है। एक दिन नौकर ने मुझसे कहा कि आपकी सास भी कभी-कभी मुझसे मसाज करवा लेती थी। यह सुनकर मैं चौंक गई। मुझे मेरी सास ऐसी नहीं लगती थी, मगर वह नौकर झूठ बोलने वाला नहीं लगता था। मुझे ससुराल आए एक महीना होने वाला था। इसलिए मैंने नौकरों को परख लिया था। वह मुझे हर बात सच ही कहता था। मेरे घर में नौकरानियां भी काम करती थीं, मगर वह झूठी और बेईमान थीं। वह मुझसे जो बात सुन लेती थीं, उसे पूरे मोहल्ले में मशहूर कर देती थीं। इसलिए, मैं उन्हें अपने कमरे में नहीं आने देती थी। यह नौकर इस घर का पुराना नौकर था। इसलिए, मैं उस पर भरोसा करती थी। नौकर भी मेरे कमरे में आता था, मगर अपनी नजरें झुकाकर रखता था। वह मेरे जिस्म को हाथ लगाता, मगर उसकी नियत खराब ना थी। ऐसा हर रात होता था। एक दिन, मैंने अपने पति से कहा कि जब से हमारी शादी हुई है, हम कहीं घूमने फिरने नहीं गए। यह सुनकर मेरे पति ने कहा कि जब से हमारी शादी हुई है, तुम भी तो हर वक्त नींद में रहती हो। मैं रात को भी घर आता हूं तो तुम गहरी नींद में होती हो। दिन को मेरे पास वक्त नहीं होता और रात को मेरे घर आने से पहले तुम सो जाती हो। यह सुनकर, मैं अपने दिल में सोचने लगी कि यह सब नौकर की मालिश की वजह से हो रहा था। मेरे पति की शिकायत यही थी। मुझे रोज रात को अपने पति के लिए जागना चाहिए था। उस दिन मैंने फैसला किया कि आज रात जब नौकर मुझे मालिश के लिए कहेगा, तो मैं इनकार करूंगी ताकि मुझे नींद ना आए और मैं अपने पति के आने तक जागती रहूं। शाम हुई, तो मैंने नहाकर खुद को खूब तैयार किया और दुल्हन बनकर बिस्तर पर बैठ गई। नौकर मेरे कमरे में आया, तो उसने मुझे मालिश के लिए पूछा, मगर मैंने साफ इनकार कर दिया। मेरी बात सुनकर वह कुछ उदास हो गया और वापस चला गया। कुछ देर बाद नौकर मेरे कमरे में आया, तो उसके हाथ में दूध का ग्लास था। मैंने खाना नहीं खाया था। इसलिए, फौरन दूध पी ली और अपने पति का इंतजार कर, मैं लगी। मगर मुझे नींद आ गई और मैं सो गई। सुबह में जागी, तो नौकर फौरन मेरे कमरे में आया और कहने लगा, “मालकिन, आपके लिए नाश्ता लेकर आऊं?” यह सुनकर मैंने अपने पति के बिस्तर की तरफ देखा। वह खाली था। यह देखकर नौकर कहने लगा, “मालिक को जरूरी काम था। वह नाश्ता करके चले गए।” यह सुनकर मेरा मूड खराब हो गया। मैं रात भर उसका इंतजार करती रही, मगर वह सुबह होते ही ऑफिस चला गया। मैंने नौकर से कहा कि मेरे लिए चाय ले आओ। नौकर कमरे से बाहर निकल गया। तभी मैंने अपने जिस्म की तरफ देखा तो चौंक गई। रात को मैंने दुल्हन का कपड़ा पहना हुआ था।
मगर अब मेरे जिस्म पर कोई और कपड़े थे। मगर मैंने अभी जेवरात पहने हुए थे। मेरा सर भारी होने लगा। मुझे यह सोचकर चक्कर आने लगा कि रात को मेरे साथ क्या हुआ था, और मेरे कमरे में कौन था, और उसने मेरे साथ क्या किया था। मगर मुझे कुछ याद ना आया। मेरा दिल घबराने लगा और मैंने अपना सर पकड़ लिया। मेरा पूरा जिस्म दर्द कर रहा था। इसलिए, नौकर चाय लेकर आया, तो मैंने उससे कहा कि मेरा जिस्म दबा दो। यह सुनकर, वह बिस्तर पर आ गया और मुझे दबाने लगा। उस दिन मैं देर तक बिस्तर पर पड़ी रही। उस दिन मेरे पति अचानक घर आ गए। मैंने उसे देखा, तो उस पर बरस पड़ी, “मैं रात को तुम्हारे लिए दुल्हन बनकर जागती रही, मगर तुम नहीं आए।” यह सुनकर मेरे पति कहने लगे, “लेकिन मैं रात को कमरे में आया, तो तुम गहरी नींद में थीं। इसलिए, मैंने तुम्हें नहीं जगाया।” यह सुनकर, मैं चौंक गई। मगर मेरे कपड़े किसने बदले? और नींद पूरी होने के बावजूद मेरा जिस्म क्यों दर्द कर रहा है? मैं उलझ गई थी। मेरे पति कहने लगे, “अच्छा ठीक है। मूड खराब करने की जरूरत नहीं है। मुझे आज रात एक काम के सिलसिले में बाहर जाना है, इसलिए देर हो जाएगी। मगर अभी मेरे पास 3-4 घंटे फ्री हैं। अगर तुम कहो तो हम अभी कहीं बाहर जा सकते हैं।” यह सुनकर मेरा मूड खुद ब खुद ठीक हो गया और मैं सारी रात वाली बातों को भूलकर खुश हो गई। शादी के बाद यह पहला मौका था कि मैं अपने पति के साथ कहीं बाहर जा रही थी। मैं जल्दी-जल्दी तैयार होने लगी जबकि मेरा पति गाड़ी में बैठकर मेरा इंतजार करने लगा। उस वक्त नौकर मेरे कमरे में आ गया और मुझसे पूछा, “मालकिन, आप कहीं जा रही हैं क्या?” यह सुनकर मैंने उससे कहा कि, “हां, मगर तुम क्यों पूछ रहे हो?” यह सुनकर नौकर कहने लगा, “मैं आपका नौकर हूं, मगर आपको यही सलाह दूंगा कि आप बाहर नहीं जाओ, क्योंकि आपका जिस्म थक जाएगा।” यह सुनकर मुझे गुस्सा आ गया और मैंने उससे कहा कि तुम मेरे नौकर हो। मेरे पति बनने की कोशिश मत करो। यह कहकर मैं बाहर चली गई। न जाने मुझे किस बात पर गुस्सा आ गया था। मैंने उस नौकर को खूब खरी-खरी सुना दी। वह भी अपनी औकात जान गया था। तभी तो मैं जब घर आई, तो वह मेरे सामने नहीं आया। मेरे पति मुझे गेट पर उतारकर वापस बाहर जा चुके थे। जब कि मैं अंदर आई, तो मेरा सारा जिस्म बुरी तरह दुख रहा था। शायद मेरे जिस्म को मालिश…
मालिश की आदत हो गई थी। तभी तो रात होते ही वह मालिश के लिए तड़पने लगता था।
लेकिन मैंने उस नौकर को नाराज़ कर दिया था। इसलिए आज वह मेरी मालिश करने नहीं आया। मगर मुझे उसकी ज़रूरत थी, इसलिए मैंने एक नौकरानी को बुलाया और उस नौकर को बुलाने को कहा। थोड़ी देर गुज़री थी कि वह नौकर मेरे कमरे में आ गया, मेरे बिस्तर पर बैठ गया और चुपचाप मेरे पैरों को दबाने लगा। यह देखकर मुझे शर्मिंदगी हुई। मैंने उसे इतना बुरा-भला कहा, मगर उसने मेरी बात रात को बिल्कुल बुरा नहीं माना। मैंने उसे चुप देखा तो कहने लगी, “मुझे उस वक़्त पता नहीं क्या हो गया था। इसलिए मैंने तुम्हें खरी-खरी सुनाई। मैं इतने दिनों के बाद अपने पति के साथ कहीं बाहर जा रही थी। इसलिए मुझे तुम्हारा टोकना अच्छा नहीं लगा, इसलिए मुझे माफ़ कर दो।” मैं उसकी मालकिन थी और उसे इस काम के पैसे देती थी। मगर अब भी मुझमें इंसानियत ज़िंदा थी। इसलिए मैंने मालिक होकर भी नौकर से माफी मांग ली, क्योंकि वह भले ही नौकर था, मगर वह एक इंसान भी तो था। मेरी बात सुनकर वह नौकर कहने लगा, “मैं आपका नौकर हूं। इस काम के लिए मैं आपसे सैलरी लेता हूं। इसलिए आपको हक़ है आप जो चाहे मुझे कह दें।” यह सुनकर मैं चुप हो गई, मगर मैंने सोच लिया कि आइंदा इससे ऐसा कुछ नहीं कहूंगी। वह उस रात देर तक मेरी मालिश करता रहा और फिर मुझे नींद आ गई। मुझे नहीं पता था कि नौकर मेरे कमरे से कब निकला और कब मेरे पति घर पर आया। मैं सुबह उठी तो मेरा पति बाथरूम में था और बाहर जाने के लिए तैयार हो रहा था। मैं उसे हैरानी से देखने लगी। पता नहीं आजकल मुझे क्या हो जा रहा था? नौकर की मालिश से मुझे इतनी गहरी नींद आती कि मुझे किसी बात का होश न रहता था। मुझे इस बात का भी पता नहीं चलता था कि मेरा पति कब कमरे में आता था। मैं सोचने लगी कि इस नौकर की मालिश में ऐसा क्या जादू था कि वह मेरे पति के आने से पहले ही मेरी मालिश करता, तो मैं अचानक गहरी नींद में सो जाती थी। सुबह जब मैं उठती तो मेरा सर भारी महसूस होता और मैं चलने-फिरने के काबिल नहीं रहती। मगर यह बात मैंने अपने पति को नहीं बताई, क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि यह बात मेरे पति को पता चले कि मैं उस नौकर से मसाज करवाती थी। एक दिन मेरा पति दिन के वक़्त घर पर ही रहा। मैंने नौकर से घर के सारे काम करवाए, अपने कमरे में नहीं आने दिया। नौकर भी घर के सारे काम करता रहा और मसाज वाली बात किसी के सामने अपने मुंह से नहीं निकाली। मैं भी चाहती थी कि यह बात किसी को पता ना चले। इस दौरान जब मेरा पति घर से बाहर जाता था, मैं उस नौकर को कमरे में बुला लेती थी। मगर एक दिन मेरा पति अचानक ही घर आ गया और मैं कमरे में थी। यह सुनकर मैं बहुत घबरा गई और सोचा कि पति के आने से पहले नौकर को भगा दूं, मगर यह नौकर भी बड़ा समझदार था। मेरे पति के आने से पहले दूसरे काम पर लग गया और मेरे पति को कुछ पता नहीं चला। मैं मसाज घर की नौकरानियों से भी करवा सकती थी, मगर उस नौकर के हाथ में क्या जादू था कि मैं उसे हर रोज़ अपने कमरे में बुला लेती थी। मुझे पता नहीं क्या हो जा रहा था। जिस रात में नौकर से मसाज नहीं करवाती थी,
उस रात मेरे पूरे जिस्म में दर्द हो जाता था। सुबह मैं जागती तो मेरा सर भारी हो जाता था और मुझे थकान भी हो जाती थी। एक रात मैंने नौकर से मालिश करवाई और गहरी नींद सो गई। सुबह मेरी आंख खुली तो फिर से मेरे कपड़े चेंज हो चुके थे। यह क्या माज़रा था? ऐसा कौन करता था? क्या मेरे पति मेरे साथ ऐसा कर रहा था? मैं सोच में पड़ गई। मैंने शीशे के सामने जाकर देखा तो चौंक गई, मेरे पूरे जिस्म पर लाल निशान पड़ गए थे। यह कैसा निशान था? मैं अपने जिस्म पर हाथ फेरने लगी। मैं जैसे उस निशान को मिटाना चाहती थी, मगर ऐसा न हुआ। अगले दिन फिर मैंने अपने जिस्म को देखा कि निशान खत्म होने के बजाय फैलने लगा था। मैं घबरा गई। तभी मेरे कमरे में नौकर आ गया और उसने मुझे मालिश को कहा। मैं उस निशान को छुपाना चाहती थी। इसलिए उसे कहा कि आज तुम सिर्फ मेरे पैर दबा दो। उसने मुंह से कुछ नहीं पूछा, मगर मैं अंदर ही अंदर डर रही थी। किसी दिन मेरे पति ने यह निशान देख लिए, तो मैं उसे क्या जवाब दूंगी? मैं यह सोच-सोच कर थक चुकी थी। इसलिए मैंने तकिया पर पैर रख दिया। नौकर मेरा मसाज करने लगा। मेरी आंखें नींद से बंद होने लगी थीं। तभी मुझे नौकर ने ऐसी बात कह दी जिसे सुनकर मेरे होश उड़ गए। उसने मुझसे कहा, “मालकिन, आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो।” मेरी आंखें बहुत बोझल होने लगी थीं। मुझे उसकी बात समझ नहीं आई और फिर मैं गहरी नींद सो गई। सुबह मेरी आंख खुली तो मेरा पति भी बिस्तर में लेटा हुआ था। मेरा सर भारी हो रहा था और जिस्म दर्द से छूट रहा था, मगर उसके बावजूद मैं अपने पति के करीब गई और उसे धीरे से उस निशान के बारे में बता दिया। मैंने सोचा कि यह निशान बढ़ रहे थे, इसलिए मुझे यह बात अपने पति को बता देनी चाहिए। यह सुनकर मेरे पति ने मेरे जिस्म से कपड़ा हटा दिया।
आया तो वह उछल पड़ा। वह मुझसे दूर हो गया और कहने लगा, “तुमने मुझे धोखा दिया है, बेवफाई की है और तुम्हें उसी की सज़ा मिली है। यह कोई बीमारी नहीं है, बल्कि तुम्हारा गुनाह है। मुझ में क्या कमी थी जो तुमने दूसरा मर्द तलाश कर लिया? मैं काम में बिजी था, मर तो नहीं गया था कि तुमने एक और चक्कर चला लिया?” यह सुनकर मैं हक्का-बक्का रह गई। मैंने उससे कहा, “कि यह आप कैसी बातें कर रहे हैं, मैं बेकसूर हूं।” मगर मेरा पति हंसने लगा और कहा, “कि यह निशान बता रहे हैं, कि तुम गुनहगार हो। इसलिए मेरे घर से निकल जाओ। मैं तुम्हें तलाक के पेपर भेज दूंगा।” उसने मुझे धक्के मार-मार कर निकाल दिया। मैं रोते हुए अपने मां-बाप के घर आ गई और उन्हें अपनी बेगुनाही का यकीन दिलाया। वह मेरे अपने थे, इसलिए उन्होंने यकीन कर लिया। उन्होंने कहा, “कि वह मेरे पति से बात करने जाएंगे।” मगर उनके जाने से पहले ही तलाक के कागजात आ गए और मेरी हंसती-मुस्कुराती दुनिया उजड़ गई। मैं इसका जिम्मेदार किसको ठहराती? कोई भी तो नहीं था। मैं कई दिनों तक रोती रही और मैंने बिस्तर पकड़ लिया। मुझे ऐसा लगने लगा था, जैसे मैं मरने वाली थी। एक दिन मेरी मां मेरे कमरे में आई और कहने लगी, “कि तुमसे कोई मिलने आया है।” मैं भाग कर गई कि शायद मेरे पति आए हों। उसे मेरी बेगुनाही का एहसास हो गया हो। मगर वहां मेरा पति नहीं था, बल्कि वही नौकर था जो उसके घर काम करता था। मैंने उसे आने का कारण पूछा तो वह कहने लगा, “मैं आपके उन निशानों के बारे में जानता हूं।” यह सुनकर मैं चौंक गई। “और यह निशान क्यों थे?” यह सुनकर मैं खड़ी हो गई और उसके शर्ट का बटन एक झटके से खोल दिया। मुझे अब समझ आया कि मेरे पति ने मुझ पर इतने गंदे इल्जाम क्यों लगाए थे? यह देखकर मैंने नौकर के सीने पर मुक्के मारने शुरू कर दिए। “यह मेरे जिस्म पर कैसे आए? तुमने मसाज के बहाने मेरे साथ क्या-क्या किया था? मुझे सच-सच बताओ।” यह सुनकर नौकर ने मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए और कहने लगा, “मेरा नाम विक्रम है और मैं तुम्हारे साथ यूनिवर्सिटी में पढ़ता था। मगर मुझे तुमसे प्यार हो गया। मैं भी डॉक्टर बनना चाहता था और मैंने सोचा था कि जब हम दोनों डॉक्टर बन जाएंगे, तो मैं तुम्हारे बाप से तुम्हारा हाथ मांग लूंगा। मगर एक दिन तुम्हारी सहेली की ज़ुबानी मुझे पता चला कि तुम्हारी मां तुम्हारी शादी जल्द करना चाहती है। इसलिए मैंने डर कर तुम्हारे घर रिश्ता भेजा। मगर तुम्हारे बाप ने इनकार कर दिया और कहा कि मैं अपनी बेटी की शादी तब करूंगा जब वह डॉक्टर बन जाएगी। इसलिए मैं इत्मिनान होकर अपनी पढ़ाई करने लगा। मुझे एक हफ्ते के लिए अपने कजिन की शादी के लिए शहर से बाहर जाना पड़ा, तभी तुम्हारी शादी हो गई।” वह यह सब मुझसे कह रहा था और मैं बेयकीनी से उसे देख रही थी। “मैं वापस आया तो मेरी मोहब्बत किसी और की दुल्हन बन चुकी थी और मैं तुम्हारे प्यार और दीवानगी में तुम्हारे ही घर का नौकर बन गया, ताकि मैं तुम्हारे करीब रह सकूं। मैं तुम्हारे करीब आना चाहता था। इसलिए मसाज के बहाने तुम्हारे कमरे में आ जाता था और रात को तुम्हारे दूध में बेहोशी की दवा मिला देता था, ताकि तुम सोती रहो और तुम्हारा पति तुम्हारे करीब ना आ सके, क्योंकि तुम मेरी थी। मैं तुम्हें किसी और के करीब नहीं देख सकता था।” यह सुनकर मैं हक्का-बक्का रह गई। “क्या तुमने मेरे साथ कभी कुछ गलत किया?” यह सुनकर उसने मेरा हाथ अपने सर पर रख लिया और कहा, “मैं तुमसे प्यार करता था। इसलिए तुम्हारे इजाज़त के बगैर, मैं तुम्हारे साथ कुछ नहीं करना चाहता था।” यह सुनकर मैंने उस निशान की तरफ इशारा किया, जो हम दोनों के जिस्म पर थे। यह सुनकर वह हंस दिया और कहा, “कि मैं डॉक्टर हूं और यह सिर्फ इंफेक्शन है। यह मैंने इसलिए किया, ताकि तुम्हारे पति को हम दोनों के ऊपर शक हो जाए।” यह कह कर उसने मुझसे माफी मांग ली और मैंने पूरे एक साल उसे सज़ा देने के बाद माफ़ कर दिया और फिर उसके साथ शादी कर ली